शुक्रवार, मई 22, 2009

वेटिंग वालों की पार्टी

व्यंग्य
वेटिंग वालों की पार्टी
वीरेन्द्र जैन
हमारे देश में एक पार्टी वेटिंग वालों की है। इसका प्राइमरी ऐजेन्डा ही वेट करते रहना है
राम राम रटते रहो, धरे रहो मन ध्यान
कबहुँ दीन दयाल के भनक परेगी कान
पर ऐसा लगता है कि दीन दयाल कानों की मशीन निकाल कर सो रहे हैं सो वेटिंग करने वालों की कहीं कोई सुनवाई नहीं है। एक अडवाणीजी हैं, जो लाल और कृष्ण एक साथ हैं। कह सकते हैं कि ऊपर से लाल हैं तो अन्दर से कृष्ण (काले) हैं। मस्जिद तुड़वाने के लिए पूरे देश में रथ हाँकते हैं और फिर कहते हैं कि जिस दिन मस्जिद टूटी वह मेरे लिए सबसे दुख का दिन था और मेरा चेहरा आंसुओं से भरा हुआ था। बाद में इसी दिन को उनके लोग राष्ट्रीय शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं जिससे उन्हें कोई तकलीफ नहीं होती। वे पूरे साल भर से वेटिंग प्रधानमंत्री बने घूम रहे थे जैसे पुराण कथाओं की नारदलीला में नारदजी नहीं समझ पाये थे कि उन्हें क्या रूप दे दिया गया है। सारे स्वयंवरी उन पर हँस रहे थे और वे गरदन आगे किये हुये घूम रहे थे। चुनाव परिणाम आने के बाद वे वेटिंग ही करते रह गये। दो एक दिन कोपभवन में रहे तो विपक्ष के नेता के रूप में वेटिंग करने वालों को लगा कि अब तो वे राजनीति से सचमुच सन्यास ले लैंगे इसलिए मुरली मनोहर जोशी ने जहाँ पर थे वहीं से आवाज लगा कर कहा कि वे विपक्ष के नेता बनने का वेट कर रहे हैं। उनके वेट करने की खबर आते ही पार्टी में उनके दुशमनों ने तुरंत ही बहिनजी सुषमा स्वराज के दावे को आगे बढाते हुये कहा कि वे तो कब से वेट कर रही हैं जब वे वेल्लारी में सोनिया गांधी के खिलाफ उम्मीदवार बनी थीं तभी से उनकी वेटिंग शुरू हो गयी थी। जब सोनियाजी को देश की जनता और उनकी काँग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री पद सोंपने की बात की थी तो सिर घुटाने चने खाने और जमीन में सोने जैसा स्वांग भरने के लिए क्या मुरली मनोहर जोशी आगे आये थे!
बोध कथाएं गवाह हैं कि दो बिल्लियों की लड़ाई में कौन फायदा उठाता है इसलिए आडवाणीजी कोप भवन से बाहर निकल आये और अटल जी के जवानी के दिनों के उन शब्दों को दुहराने लगे '' हम चुनाव जरूर हारे हैं, पर हिम्मत नहीं हारे''। उन्होंने थोड़े से नखरे दिखा कर फिर से विपक्ष के नेता पद को पहले अस्थायी और फिर स्थायी स्वीकार कर लिया। मुरली मनोहर जोशी कारवँा गुजर जाने के बाद गुबार देखते रह गये।
बीच चुनाव में जब लगने लगा था कि अडवाणी जी की सीट कनफर्म नहीं होने वाली तो एक और वेटिंग प्रधानमंत्री उभर आये थे। प्रधानमंत्री की कुर्सी तो एक ही होती है पर वेटिंग की कोई सीमा नहीं होती। उर्दू शायरी में सुन्दर महिला का पूरा शहर ही दीवाना पाया जाता है। दीवानों को अपनी शकल और अपने खून से रंगे हाथ देखने का होश ही कहॉ रहता है। दूसरे दलों में भी ऐसे दीवाने थे पर हर दल में एक मुहल्ले में एक ही रहेगा की तरह एक ही एक था, लेकिन उनके यहॉ तो एक के पीछे एक था जो पता नहीं लगा हुआ था या पड़ा हुआ था! आडवाणी जी जब अपनी वेटिंग ही कनफर्म मान रहे थे तभी भोपाल में कार्यकारिणी बैठक के दौरान अटल जी का एक पत्र अवतरित हो गया था जिसमें उन्होंने शीघ्र स्वस्थ होकर सक्रिय राजनीति में वापिस होने का भरोसा दिलाया था। वेटिंग के दो आगे वेटिंग, वेटिंग के दो पीछे वेटिंग, आगे वेटिंग पीछे वेटिंग, बोलो कितनी वेटिंग?
वेटिंग का यह सिलसिला प्रधानमंत्री के लिए ही नहीं मुख्यमंत्री के लिए भी रहता है। मदनलाल खुराना के पीछे साहिब सिंह वर्मा वेट कर रहे थे और हवाला कांड में उनके स्तीफा देने के बाद उनके बाइज्जत बरी होने के बाद भी उन्हें वेट ही करवाया गया। कल्याण सिंह के पीछे वेट करने वालों ने उन्हें पार्टी छोड़ने को ही विवश कर दिया था अभी भी त्रिपाठी के पीछे महंत पड़े हैं। वसुंधरा के पीछे तो जसवंत सिंह पड़े रहे। शांता कुमार के पीछे धूमल पड़े रहे तो भगतसिंह कोशयारी के पीछे खंडूरी। सुषमा स्वराज के पीछे उमा भारती तो उमा भारती के पीछे अरूण जेटली और प्रमोद महाजन। सुशील कुमार मोदी के पीछे तो पूरा विधायक दल ही पड़ा रहा। हमारे प्रदेश की सरकार में ही एक के पीछे दूसरा मुख्यमंत्री पद प्रत्याशी वेट करता आया है। जाने कितने लोग घीरे से टंगड़ी मारते हुये एक दूसरे के पीछे लगे इंतजार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की कैबिनेट का मंत्री ही उनकी पत्नी की नोट गिनने की मशीन खरीदने की वीडियो फिल्म खरीद कर रख लेता है ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आये। पर बुन्देली की एक कहावत के अनुसार ''कौवों के कोसे ढोर नहीं मरते''- सो वे भी हरे भरे चारागाह में र्निद्वंद चर रहे हैं और कौवे कोस कोस कर काले पड़ते जा रहे हैं।
रेडियो पर गाना आ रहा है-
दुनिया है मेरे पीछे
लेकिन मैं तेरे पीछे
अपना बना ले मेरी जॉन
हाय रे में तेरे कुरबान
वीरेन्द्र जैन
21 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल मप्र
फोन 9425674629

1 टिप्पणी:

  1. "……दीन दयाल कानों की मशीन निकाल कर सो रहे हैं……" यानी आप भगवान को "बहरा" कह रहे हैं? चेहरे से तो ऐसे नहीं लगते आप?

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