सोमवार, मार्च 26, 2012

व्यंग्य- हाफ पेंट भी उतार दिया


व्यंग्य
हाफपेंट भी उतार दिया
वीरेन्द्र जैन
      राम भरोसे का आना तूफान का आना होता है। उसके आते ही लगता है कि कुछ खास बात है, आते ही उसने पुंगी बनाया हुआ अखबार फैला के पटक दिया और बोला लो देख लो। वैसे मैं देखने की जगह उसका मुख देखना और उसके उद्गार सुनने को ज्यादा उत्सुक रहता हूं, बकौल शायर

वो आये हमारे घर खुदा की कुदरत
कभी हम उनको देखते कभी अपने घर को
और आ कर भी
वो मुखातिब भी हैं करीब भी हैं
उनको देखें कि उनसे बात करें
सो हमने उनके ही श्री मुख से सुनने की लालसा में पूछा-‘क्या हुआ राम भरोसेजी?’
वे बोले ‘जो आधा था अब तो वह भी उतर गया’
‘मैं समझा नहीं’
      इसीलिए तो अखबार लाया था, देखो और पढो! इसमें लिखा है कि आर एस एस ने अब अपने स्वयं सेवकों को हाफ पेंट पहिनने से भी मुक्ति दे दी है। अभी तक कुछ लाज ढकी हुयी थी सो वो भी उतार देने का फैसला हो गया।‘
‘ अरे भाई तुम गलत समझ रहे हो इस खबर का यह मतलब नहीं है ?’
’तो क्या मतलब है?’ उसने झपट्टा जैसा मारते हुए कहा
      ‘इसका मतलब है कि भाजपा की सरकारों द्वारा सरकारी कर्मचारी के संघ में भाग लेने की अनुमति के बाद भी जब संघ में जाने वालों की संख्या दिनों दिन घटने लगी तो उन्हें लगा कि शायद हाफ पेंट में लोगों को शरम आती होगी इसलिए वे शाखा में नहीं आना चाहते सो उन्होंने अपनी वर्दी को मर्जी के अनुसार पहिनने की स्वतंत्रता दे दी। आखिर उन्हें अपना विस्तार करना है, संघ को ग्राह्य बना है, गाँव गाँव में नफरत फैलाना है जिससे एक पवित्र हिन्दू राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।‘ मैंने उसे ठंडा करने के लिए कहा। पर वह तो और भड़क गया। बोला-
      ‘अब बहाने मत बनाओ। तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे कि वे तुम से पूछ कर गये हों कि अब क्या करना है। तुम ये नहीं देखते हो कि आजकल धोती पहिनने वाले लोग तक रोज सुबह शाम बरमूडा पहिन कर इधर से उधर और उधर से इधर होने को वाकिंग कहते हैं, सो उन्हें हाफ पेंट पर शरम क्यों आने लगी, अगर शरम आती होगी तो संघ के कार्यकलापों से आती होगी। अन्ना हजारे पर जब संघ से संचालित होने का आरोप लगा और स्वयं संघ व उसके दुमछल्ले संगठनों ने बाद में खुल कर कहा कि अन्ना का आन्दोलन उन्हींने संचालित किया था और उसमें खर्च हुए लाखों रुपये ही नहीं अपितु अपने कैडर को भी उसमें झोंका, तब अन्ना ऐसे भड़के जैसे सांड़ को लाल कपड़ा दिखा दिया हो। एक विधायक ने म.प्र. के लोकायुक्त का संघ में जाने का नकली फोटो दिखा दिया तो उसे जेल की सैर करा दी गयी। जिससे भी कह दो कि वह संघ का है तो उसे यह आरोप गाली की तरह लगता है। खुद भाजपा वाले तक संघ से अपना रिश्ता छुपाते रहते हैं और कहते हैं कि उनका कोई रिश्ता नहीं है जबकि कस्बे से लेकर ऊपर तक सारे संगठन सचिव संघ के प्रचारक ही बनाये जाते हैं।
      ‘पर ये तो रणनीति है भई कि जैसे भी हो लोग संघ की शाखाओं में आयें, वहाँ व्यायाम करें अपनी सुरक्षा के लिए लाठी वगैरह चलाना सीखें, भारत माता को प्रणाम करें। पहिले उन्होंने जैनों को प्रभावित करने के लिए चमड़े के बेल्ट और जूते बदल दिये थे, अब उन्होंने हिटलर की ड्रैस को उतारकर भारतीय गणवेष धारण करने की अनुमति दे दी है। कोई धोती पहिन कर आ सकता है, कोई लुंगी बाँध कर आ सकता है, कोई सलवार पहिन कर आ सकता है, तो कोई पाजामा पहिन कर आ सकता है। परम स्वतंत्रता है, इससे राष्ट्रीय एकता स्थापित होगी।‘
      ‘वही तो मैं कह रहा हूं कि शांति पसन्द जनता के साथ रण चल रहा है इसलिए रणनीति भी है पर गर तुमने खबर को पूरी तौर पर पढ लिया होता तो ऐसा नहीं कहते, इसमें लिखा है कि अब संघ से जुड़ने के लिए शाखा में जाने की भी जरूरत नहीं। अब सप्ताह में एक दिन ‘नो टीवी डे’ का समर्थन करते हुए परिवारों में जाकर प्रबोधन कार्यक्रम से लोगों को जोड़ेंगे और सन्युक्त परिवारों को बढावा देने के लिए जोर देंगे।‘
      ’ पर यहाँ तो गड़बड़ हो जायेगी, अगर वे सन्युक्त परिवारों को बढावा देंगे तो सास बहू के सीरियलों को देखने की जरूरत और बढ जायेगी, फिर ‘नो टीवी डे’ कैसे मनेगा। वैसे भी उनके यहाँ महिलाओं की शाखाएं न के बराबर होती हैं सो वे और म.प्र. पुलिस से क्लीन चिट प्राप्त जैसे अविवाहित प्रचारक घरों में कैसे घुस पायेंगे।‘ मैंने कहा।
      ‘अब तुम्हीं जा के समझाओ
’ यह कह कर राम भरोसे अपना अखबार समेट कर चला गया।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मोबाइल 9425674629

    

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