शनिवार, मार्च 10, 2012

vyangya- modee kee dooradarshita मोदी की दूरदर्शिता


व्यंग्य
मोदी की दूरदर्शिता
वीरेन्द्र जैन

स्व. ओमप्रकाश आदित्य की एक कविता थी-
मरने वालों के घर वालों की बददुआ न लगे
इसलिए कफन बेचने वालों ने
बनवा कर एक शमसान
नगरपालिका को कर दिया है दान
अब प्रतीक्षा है कि कोई नेता मरे
तो उसे जला कर उसका उद्घाटन करें 
      उद्घाटन की अति कर देने वाले नेताओं पर यह एक बहुत ही निर्मम व्यंग्य था, जिसके लिए उनके मरने की कल्पना की गयी थी, पर जेल जाने की नियति वाले नेताओं द्वारा जेल का उद्घाटन कुछ कुछ ऐसा ही दृष्य उपस्तिथ करता है। पिछले दिनों गुजरात के सूरत में वहाँ के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाजपोर कारागार का उद्घाटन करके उपरोक्त कविता की याद दिला दी। उक्त जेल में उन्होंने जितनी सारी सुविधाएं जुटायी हैं उससे तो ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने और अपने चट्टे बट्टों के भविष्य को ध्यान में रख कर ही इसका निर्माण करवाया है। इस हाइटेक जेल में खेल मैदान, इंडस्ट्रियल शेड, अदालतों में पेशी के लिए वीडियो कांफ्रेंस सुविधा, हीरा प्रशिक्षण केन्द्र के साथ पुस्तकालय भी है। इस जेल में एक दो नहीं 807 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं जिसमें से 65 कैमरे तो टिल्ट जूम कैमरे हैं जिन्हें 360 डिग्री तक घुमाया जा सकता है। इसमें 35 एक्स आप्टिकल ज़ूमिंग सम्भव है जिसकी सुविधा से जेल के बाहर गुजरने वाली सड़कों पर गुजरने वाली गाड़ियों के नम्बर तक देखे जा सकते हैं॥ एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है जिसकी मदद से अधिकारी रात में इंफ्रा रेड विजन की मदद से पूरे कारागार को देख सकता है। घुप अँधेरे में भी कैमरों की मदद से ब्लेक अंड व्हाइट  व्यू मानिटर पर देख सकता है।
      दो लाख वर्ग मीटर मे बने इस कारागार में से एक लाख वर्ग मीटर तीन मंजिला भवन का निर्माण किया गया है जिससे इसमें 3007 कैदी रखे जा सकते हैं। महिला कैदियों के लिए 12 विशेष बैरकें बनवायी गयी हैं जिनमें रसोई और बच्चों के लिए अप्पू घर भी है।
      इस कारागार में मोदी सरकार का पूरा मन्त्रिमण्डल अपने प्रिय पुलिस अधिकारियों के साथ सजा काट सकता है। लालू प्रसाद इस दिशा में पहले ही रास्ता दिखा चुके हैं कि कैसे वीआईपी जेल में सुविधाएं होनी चाहिए। वही कानून बनाने वाले, वही कानून तोड़ने वाले वही सजा दिलाने वाले, वही सजा पाने वाले सब कुछ वही वही सुन कर गीता के उपदेश का ध्यान आ जाता है। उदय प्रकाश की एक कबीराना कविता है-
हम हैं ताना हम हैं बाना
हमीं चदरिया, हमीं जुलाहे, हमीं गजी हम थाना
नाद हमीं, अनुनाद हमीं, निःशब्द हमीं गम्भीरा
अन्धकार हम, चाँद सुरज हम, हम कान्हा, हम मीरा
हमीं अकेले हमीं दुकेले, हम चुग्गा हम दाना
मन्दिर मस्जिद, हम गुरुद्वारा, हम मठ, हम वैरागी
हमीं पुजारी, हमीं देवता, हम कीर्तन हम रागी
मूल फूल हम, रुत बादल हम, हम माटी, हम पानी
हमीं जहूदी, शेख बिरहमन, हरिजन हम ख्रिस्तानी
पीर अघोरी, सिद्ध औलिया, हमीं पेट हम खाना
नाम पता ना ठौर ठिकाना, जात धरम न कोई
मुलक-खलक, राजा परजा हम, हम बेलन हम लोई
हम हीं दूल्हा, हमीं बराती, हम फूंका, हम छाना
     बात बात में पाँच करोड़ गुजरातियों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाले वहाँ 2002 के नर संहार में मरने वाले भी गुजराती ही थे। मोदीजी जब वहाँ के प्रसिद्ध पकौड़े खाओ तो चटनी जरूर छत्तीसगढ के जंगलों से मँगवा लेना वहाँ लाल चींटियों की चटनी बनती है।

वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मोबाइल 9425674629
  

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