मंगलवार, अप्रैल 10, 2012

व्यंग्य- सांसद, विधायक बनाने की फैक्ट्री बन्द


व्यंग्य
सांसद, विधायक बनाने की फैक्ट्री बन्द
वीरेन्द्र जैन
      जब से एसएममएस से संवाद की शुरुआत हुयी है तब से वर्तनी की तो ऐसी की तैसी हो गयी है। युवा पीढी का सोचना है कि संवाद प्रेषित होना वर्तनी अर्थात स्पैलिंग की चिंता से अधिक महत्वपूर्ण है। हिन्दी के लोकप्रिय कवि नीरज कहते हैं कि-
शब्द तो शोर है तमाशा है
भाव के सिन्धु में बताशा है
मर्म की बात होंठ से ना कहो
मौन ही भावना की भाषा है
मुझे लगता है कि वर्तनी को हिकारत की दृष्टि से देखने के इस समय में यह वर्तनी की भूल ही होगी जब भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पार्टी सदस्यों की एक बैठक में कहते है कि भाजपा सांसद, विधायक बनाने की फैक्ट्री नहीं है। दर असल वे कहना चाहते होंगे कि हे रामलला अब भाजपा सांसद, विधायक बनाने की फैक्ट्री नहीं रही।
      ये फैक्ट्री तो थी, और बकायदा थी। ये बात दूसरी है कि ये फैक्ट्री साइन बोर्ड भले ही किसी और चीज का लगाये बैठी हो पर काम सांसद विधायक उत्पादन का ही करती थी। उनके सारे सैद्धंतिक समझौते सांसद विधायक उत्पादन करने की दृष्टि से ही किये जाते रहे हैं। यह अकेली फैक्ट्री रही है जो सभी संविद सरकारें बनने की स्थिति में अपना आवेदन लेकर सबसे आगे खड़ी नजर आती रही है। सांसद, विधायक बना दो चाहे जैसे बना दो, बाकी भितरघात तो हम करते रहेंगे। 1977 में जनता पार्टी के गठन के समय जब फैक्ट्री को दूसरी फैक्ट्री में मिलाने की बात आयी तो इनकी पुरानी फर्म भारतीय जन संघ ने सबसे पहले अपनी फैक्ट्री को डिसाल्व करने का रिजोल्यूशन पास कर दिया। सांसद विधायक का उत्पादन भर होता रहे, बोर्ड का क्या है उसे उतार कर स्टाक रूम में जमा कर दिया। नई कम्पनी टूटेगी तो झाड़ पोंछ कर फिर से लगा लेंगे, ज्यादा से ज्यादा एकाध अक्षर या शब्द बदल देंगे, पर प्रोडक्शन तो वही रहेगा।
      अगर फैक्ट्री नहीं होती तो सबसे ज्यादा दल बदल कर आये लोग क्यों स्टाक किये जाते । जिस गान्धी नेहरू परिवार को पानी पी पी कर कोसते रहे हैं उसकी बहू रानी क्या गौ सेवा के लिए भाजपा में शामिल हुयी थीं! वह काम तो वे पहले भी कुत्ते, बिल्लियों, गधों और सुअरों की रक्षा के साथ पहले ही एन जी ओ बनाकर करती आ रही थीं। उन्हें टिकिट नहीं देते तो पता लग जाता और अभी भी माँ बेटे किसी का भी टिकिट काट कर देख लेना। देश भर को कांट वाटर प्यूरीफायर का पानी पिलाने वाली स्वप्न सुन्दरी हेमा मालिनी क्या भाजपा शासित राज्यों में नाच नाच कर बत्तीस लाख भुगतान लेने के लिए शामिल हुयी हैं? उनका भी टिकिट काट कर देख लेना? धर्मेन्द्र जी ने तो कह ही दिया था कि फैक्ट्री ने मुझे बहुत इमोशनली ब्लैकमेल किया। हमारे शत्रुघ्न सिन्हाजी भी नशीली मुद्रा में बैगपाइपर सोडा को विज्ञापित करने के लिए फैक्ट्री में नहीं आये थे अपितु सांसद और मौका मिलने पर केन्द्रीय मंत्री बनने के लिए ही आये थे। और ओशो के स्वामी विनोद खन्नाजी भी कोई समाधि की ओर जाने के लिए फैक्ट्री में नहीं आये थे। स्मृति ईरानी, नवजोत सिंह सिद्धू, चेतन चौहान क्या राम मन्दिर बनवाने के लिए शामिल हुए थे? रामायण धारावाहिक की सीताजी को जबसे सांसद नहीं बनाया तब से वे फैक्ट्री की ओर झांकी भी नहीं। यही हाल रावण अरविन्द त्रिवेदी और हनुमान दारासिंह्जी का भी है, वे कोई कीर्तन करने तो फैक्ट्री में नहीं आये थे उद्योगपति गडकरी जी। आपने तो अभी तक उन दिग्विजय सिंह, जिनके भाई को फैक्ट्री के उत्पाद के रूप में निकाला था,  के उस सवाल का भी जबाब नहीं दिया कि इतने कम समय में आपने इतनी दौलत कैसे एकत्रित कर ली। जब इतनी दौलत एकत्रित हो जाती है तो भाषा तो फैक्ट्री वाली हो ही जाना है। राज्यसभा में आपकी फैक्ट्री के नेता की दौलत का विकास भी गत पाँच साल में 23 करोड़ से बढ कर कुल 158 करोढ ही हो पायी है जिसका खुलासा उन्होंने राज्य सभा के लिए अपना नामांकन भरते समय किया है।
      अरे मैं भी कहाँ की बात ले बैठा आप तो ये ही बता दीजिए कि ये जो विदेश में रह कर भाजपा के दोस्त बने रहने और दूसरों को भाजपा का दोस्त बनाने वाले अंशुमान मिश्र जी हैं ये कच्चा माल बनकर भाजपा विधायकों के सहयोग से क्या बनने के लिए झारखण्ड से राज्यसभा के उम्मीदवार बने थे? और जब नहीं बन पाये तो उसी फैक्ट्री को उलटनी की कोशिश करने लगे थे जिसके दोस्त बनाते बनाते उनकी कार के कई टायर घिस गये होंगे। उन्होंने न केवल मुरली मनोहर की धोती ही खोल दी अपितु उत्तर प्रदेश के एक एक नेता की पोल खोलने पर ऐसे उतर आये थे जैसे कि कभी अमर सिंह मुलायम की पोल खोलने पर उतारू हो गये थे, पर अब दोनों के मुँह पर ढक्कन लग गया है। आजकल विज्ञापन भी खूब आ रहा है जिसमें बताया जा रहा है कि ढक्कन लगा कर खाना बनाने से गैस की बचत होती है। बहरहाल आपकी समझ में आ जाना चाहिए कि इस रामलीला पार्टी के चारों ओर जो ये लोग मक्खियों की तरह मंढरा रहे हैं वे सत्ता का लाभ लेने हेतु सांसद विधायक बनने के लिए ही लगे हैं। अब अगर तुम्हारी फैक्ट्री बन्द होने वाली है तो ये दूसरी फैक्ट्री तलाश लेंगे, आप चिंता करके अपना बजन न घटाएं। मैं देख रहा हूं कि आपका बजन बहुत घट गया है।
वीरेन्द्र जैन
2/1 शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा सिनेमा के पास भोपाल [म.प्र.] 462023
मोबाइल 9425674629
  

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